Monday, August 30, 2010

गाँधी आतंकवाद से पीड़ित भारत देश !!!

अब इस आतंकवाद का नाम सुनकर बड़े बड़े फन्ने खानों की तियोरिया चढ़ जाएँगी. भाई आतंकवाद तो आतंकवाद है अब वो गाँधी आतंकवाद हो या इस्लामिक आतंकवाद. फर्क सिफ इतना है इस्लामिक आतंकवाद सरहद पार कर के संसार भर में है और गाँधी आतंकवाद देश में पला पोसा और विनाशक भारत देश में ही बना. अच्छा लोगो के तर्क भी बड़े गजब है अपने बाप के तो पैर छूते नहीं और गाँधी को बापू बनाय घूमते है खैर ओमामा के साथ भी ऐसा ही है. इसी को कहेते हैं माँ मर गई अँधेरे में और धी (बेटी) का नाम लालटेन, इस गाँधी आतंकवाद ने सबसे पहेले १९४७ में अपने पैर पसारे १० लाख लोगो का कत्ले आम कराया इस आतंकवाद ने. इसी आतंकवाद ने लाखो माओ और बहेनो के साथ बलात्कार कराया. देखो आतंकवादी आतंकवादी होता है वो चाहे ऐ के ४७ के साथ हो या लाठी के. आज चाइना देश का प्रवर्तक और घोर राष्ट्रीय और क्रन्तिकारी माओ तुम्हारे देश के लिए आतंकवादी हो सकता है, परिक्षण तो करो गाँधी आतंकवाद भी इस परिपेक्ष में है वो अलग बात है की उसने अपना चाइना देश बनाया और इस गाँधी आतंकवाद ने दुसरो के देश बनाये. गाँधी आतंकवाद का एक संघटन भी जिसका नाम है कांग्रेस. और कमाल तो यह है की पूरा का पूरा आतंकवाद गिरोहों देश चला रहा है. इस आतंकवाद ने १९४७ में लाखो लोगो के कत्ले आम किये जैसे की माओ के ज़माने में क़त्ल हुए चीन में. एक देश को तोड़ कर तीन देश बनाये. १९६२ में देश को अपमानित, पराजित और हजारो सैनिक मरवाए जैसे की तेजो, मुस्लेनी और हिटलर ने अपने अपने देशो के साथ करवाया और एक पराजित देश बनवाये अपनी सनक के और सत्ता के आतंकवाद से. १९७५ में गाँधी आतंकवाद ने देश की प्रभुसत्ता को चुनौती दी कितने ही देश भक्त जेल में ठूस दिए गए जैसे की स्टालिन और माओ ने किया. देश को कितने ही महीने इस आतंकवाद ने बंधक बनाकर रखा जैसे की आज इस्लामिक आतंकवादी घाटी को बनाकर रखे हुए है है. १९८४ में इस गाँधी आतंकवाद ने सरे आम वो भी देश की राजधानी में ५००० सिख बहेनो और भाइओ को कत्ले आम किया जैसे कम्बोडिया में पोल पोट ने किया था. फिर इस गाँधी आतंकवाद के अतंकवादियो ने एक और देश श्री लंका की सम्पर्भुता को नष्ट करने और अपने ही देश के वीर सैनिको को अपमानजनक स्थिति में मरने दिया गया जैसे के सद्दाम हुसैन ने अपने रेवाल्नुशरी गार्ड अपनी सनक से मरवा दिए. फिर इस गाँधी आतंकवाद ने पुरे देश को पिछले ६० सालो से दो खिब्तो में बाँट कर रखा इस आतंकवाद ने १९८९ में राम मंदिर के ताले खुलवाये और इसी ने बाबरी ढांचा ढाया और पांच चुनी राज्य सरकार को बर्खास्त कर अपने किये पर पर्दा डाला और कालांतर में उसी आतंकवाद के भावी कमांडर इन चीफ ने देवबंद में जाकर माफ़ी भी मांगी. १९८४ के कत्ले आम की माफ़ी भी मांगी, १९७५ के वो रंज और गम के आपातकाल की माफ़ी भी मांगी और हिंदुस्तान की जनता की छाती पर गाँधी आतंकवाद का झंडा आज भी फहर रहा है और लोग सुबकिया ले रहे है. गाँधी आतंकवाद की कोख से निकला आर्थिक आतंकवाद (महंगाई) आम आदमी की जिंदगी रोज ले रहा है. किसान रोज आत्महत्या कर रहे है जैसे जरनल डायर के डर से लोग कुए में कूद कर आत्महत्या कर रहे थे. आज इन आतंकवादी घटनाओ को करने के बाद जब आप माफ़ी मांग सकते हो तो फिर तो कसाब और अफजल को भी आप माफ़ कर ही दोगे क्योंकि आपने जो नौटंकी की है क्या गारंटी है की शाहबानो केस में जब सुप्रीम कोर्ट को आपने उसकी औकात बता दी थी, इलाहाबाद हाई कोर्ट की हैसियत दिखा दी थी इस गाँधी आतंकवाद ने तो आज फिर आप क्यों नहीं दिखा सकते जब आपकी सरकार ने आंध्र में संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ करके मुसलमानों का आरक्षण दे ही दिया तो फिर बच क्या गया आतंकवादी ही तो यह सब काम करते है जो आप कर रहे हो और फिर इस गाँधी आतंकवाद की कोख से चिताम्बरम का लुंगी आतंकवाद निकला (अरे हंसने की बात नहीं और न ही अपमानजनक भाषा मानी जाये. मतलब यह शक्श एक जिमीदार मंत्री होकर मेरे पुरखो, मेरे गुरुओ के त्याग का अपमान कर सकता है उनकी भावनाओ और गरिमा का अपमान कर सकता है , महाभारत में सत्य के भगवा पताका का अपमान कर सकता है, गुरु गोबिंद सिंह जी के ध्वज का अपमान कर सकता है, शिवाजी के गरूर का अपमान कर सकता है और हम इसको अपना मंत्री बने रहेने दे सकते है थू है हम पर और हमारी कमजोरी पर) और इसको भगवा शब्द को आतंकवाद से जोड़ कर देने की इज्जाजत कैसे दी जा सकती है. बत्तीसी निकाल कर हंसने से कुछ नहीं होगा आपको १२५ करोड़ हिन्दुओ की भावनाओ से खिलवाड़ करने की सजा मिलनी ही चाहिए. शायद यह शख्स दैनिक जागरण के पत्रकार का जूता भूल चूका है जो देश का जिम्मेदार मंत्री होकर नाहक ही इतनी अश्लील भाषा में ५००० वर्ष की परमपरा का अपमान करने का घोर दुसाहस कर रहा है. शर्मसार और लज्जित है हम अपने और अपनी जर्जर और कमजोर हालत पर. शर्मिंदा है की हमारे घोर मानसिक शोषण करने की इस कांग्रेस कबिनेट की. जो कभी हमारे राम को राम नहीं काल्पनिक व्यक्ति मानती है. मेरी दुर्गा और माँ भारती के नंगे चित्र बनाने वाले को पदम् श्री देती है. हिन्दू हृदय सम्राट वीरो के वीर सावरकर का अपमान करने वाले को देश का मंत्री बनाती है. प्रधानमंत्री जी क्यूँ आप अमृतसर जा कर भगवा पगड़ी बंधते हो क्यों मेरे गुरुध्वारे में भगवा वस्त्र रखा जाता है क्यों मेरी रामयण और गीता भगवे वस्त्र में लपेटी जाती है. क्यों भगवा हरिद्वार के १००% साधु और ऋषि पेहेनते है. यदि भगवा का अपमान देश के मंत्री सरकारी अफसरों की मीटिंग में करेंगे तो क्या कीमत रह्जाएगी उन भगवाधारियो की जो काशी में मोक्ष को ताकते फिर रहे है.
हमने पहेले ही कहा है की जो आतंकवादी है उसको सरे आम फंसी पर चढाओ वो फिर गाँधी आतंकवादी हो, इस्लामिक हो या तथकथित कोई राष्ट्रवादी आतंकवादी हो. चिताम्बरम जी आप बधाई के भी पात्र है की आपके ग्रहमंत्री पद सँभालते ही बम विस्फोट की घटने लगबग समाप्त होगई नहीं तो शिवराज जी ने तो हिंदुस्तान को इराक ही बना दिया था. परन्तु आज क्या हो रहा है. आपके ग्रह सचिव की बेज्जती आपके साथी विदेश मंत्री जी ने कर दी, इतने इनकाउनटर हो रहे है आपकी नाक ने नीच और आपको असर ही नहीं हो रहा है. देश में आपके ऊपर आपके साथी ममता जी ट्रेन दुर्घटनाओ में षड्यंत्र का आरोप लग रहा है परन्तु आप है की चार बम विस्फोट और ढाई आदमी के मरने (जो की घटा है तो गलत और जिन्होंने किया है वो भी गलत और दंडनीये है) परन्तु माओ आतंकवाद, नक्सल आतंकवाद, गाँधी आतंकवाद के पुरोधा आपके चारो तरफ है ही है . इस से जयादा जानना है तो इस आतंकवाद के बारे में डॉ. स्वामी इस बारे में आपके चक्षु और शातुर्मुर्गो को रेत से बहार निकाल पाएंगे
अच्छा कमाल इतना है की रोज घाटी में तिरंगा जल रहा है, सुरक्षा बल के सिपाही मारे जा रहे है परन्तु न तो कश्मीरी अतंकवादियो से खतरा बताया जा रह है और न ही इस्लामिक आतंकवाद की मजम्मत की जा रही है परन्तु जीभ है की भगवा आतंकवाद से अपने ही पुलिस फ़ोर्स को अगाह कर रहे है ग्रहमंत्री जी. पता नहीं क्यों वेदांत कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डैरक्टर रहकर भी इतनी गर्मी है की उन्ही के समय में कंपनी जो कुवालिटी का अन्तराष्ट्रीय अवार्ड लिया था को भी लन्दन की ओर्गानैज़शन ने वापस लेलिया और भगवा आतंकवाद का परचा बाँट यह दिल्ली में रहे है.
ग्रहमंत्री जी १९८४ के गाँधी आतंकवाद के एरिया कमाडर सज्जन कुमार जी आपकी दिल्ली में ही बैठा है दुसरे को आपकी ही सरकार ने बिहार प्रभारी बनाया है. आपने वैश्विक आर्थिक आतंकवाद के एक आतंकवादी श्री कौत्रोच्ची जी को भी विशेष आदर दिया हुआ है.
मेरा निवेदन श्री चिताम्बरम जी से इतना है को वो सर्वप्रथम इस गाँधी आतंकवाद से देश का छुटकार दिलवाए नहीं तो चाइना हमारी और भी सीमा हड़प लेगा और हम साबरमती के संत तुने कर दिया कमाल ही गाते रहेजायेंगे.
हमारा आप से निवेदन है की कोई भी आतंकवादी बचना नहीं चाहिए और सब को फांसी चढ़ाया जाना चाहिए चाहे वो किसी जात, धर्म या पंथ का हो.
और आतंकवाद को इतना ही संज्ञा देने का शौंक है तो एक नया आतंकवाद जनम ले रहा है जिसे सफ़ेद आतंकवाद कहेते है जो झारखण्ड और उड़ीसा में इसाई मिशनरिया फैला रही है. "हड़प" आतंकवाद जो किसान की जमीन सरकार और उनकी प्रिये कंपनियों द्वारा हडपी जा रही है और जिस आतंकवाद से आपके खुद के युवराज भी लड़ रहे है और अलीगढ आगरा उसके नए मैदान ऐ जंग है. तो भईये पहेले गाँधीवाद आतंकवाद से लड़ो फिर आगे बड़ो नहीं तो देश को पिछले कई दशको से येही आतंकवाद खोखला कर रहा है और आप हमे चंदा मामा की कहानी सुना रहे हो.
बंधुओ मझे घोर आश्चर्य इस देश की कुंठित और भू-लुंठित जनता से भी है जो गाँधी आतंकवाद देश की असीमित, गरिमा, परम्परा, पोरुष, पहचान, बोध, शक्ति और संस्कृति को खा रहा है क्या वो आतंकवाद नहीं और उसको उठा कर फैंकने के लिए कोई कार्यकर्म और कोई जीवटता नहीं है. राम नवमी, शिव रात्रि और कृष्ण जन्माष्टमी पर जिस मूर्ति को इतना मान देते हो उसके लिए व्रत रखते हो उसकी पहेचान को नष्ट करने वाले क्या आतंकवादी नहीं. जो शारीर को मारते है वो तो आतंकवादी है ही है परन्तु जो हमारी पहचान मिटाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करते है क्या वो आतंकवादी नहीं है. जब अयोध्या राम की नहीं है तो दशहरे का ढोंग क्यों. जब राम लंका गए ही नहीं थे राम सेतु बना कर तो फिर दिवाली का ढोंग क्यों. इन सरकारी छुट्टी को केलेंडर से हटा ही क्यों नहीं लेते.
मित्रो मैं सन्दर्भ से नहीं हट राह हूँ. मैं उस बहुत बड़े षड्यंत्र को समझने की कौशिश कर रहा हूँ जिसमे के यह गाँधी आतंकवादी कभी राम को कभी दुर्गा को कभी धर्म को कभी अयोध्या को कभी भगवा को किसी न किसी रूप में अंतिमरूप में हिन्दू को ही क्षीण करने की भावना से ओतप्रोत रह है . और इन शब्दों के जरिये उसको ठोक बजाकर उसके दम को हर दम चेक किया जाता हो की कितना और बाकी है कितनी चोट और करनी है. जैसे की कोई तिजोरी का ताला तोड़ने वाला चोर करता रहेता है.
झारखण्ड में पिछले दो साल में कितने मंदिर सरकार ने तोड़ दिए कितनो की मुर्तिया खंडित हो गई इसको कोई हिसाब ही नहीं है. यदि आज हिन्दू जनता और उसके विश्वासों को इसी प्रकार तोड़ते रहे चोट पहुंचाते रहे पता नहीं इस से हित किसके सध रहे है.
भगवा यदि गलत है तो तथ्य पेश कर नंगा करो परन्तु रोज रोज उसपर मसाला लगा हिन्दुओ को गाली मत दो. इस्लामिक आतंकवाद तो एक सच है जिस सच का १४०० साल का इतिहास है जिसके साक्ष्य है जो चीख चीख कर आपने होने की सच्चाई बताते है. माओवाद जिसने २३४ डिस्ट्रिक्ट आपने खूनी पंजे में ले रखी है इसका साक्ष्य जिवित रूप मैं है. गाँधी आतंकवाद का खुला उदहारण हिन्दुस्तान का ६० साल बाद भी गरीब, अस्मिता हीन, दोहरा मापदंड, एक परिवार के नाम पर हिन्दुस्तान के नवयुवको की प्रतिभा पर जोरदार तमाचा, भोपाल गैस काण्ड, सत्ता का परिवार को हस्तांतरण हिंदुस्तान की आनेवाली पीढ़ी को नपुंसक बनाना नहीं तो क्या है. और यदि इसे आतंकवाद न कहे तो क्या कहे. हिन्दुओ में कुछ दिगभ्रमित लोगो के एक आद मूर्खताओ को आतंकवाद कहेना उन १५०० सालो से लड़ते वीर शहीदों का अपमान और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आक्रमण करने वालो की होंसला अफजाई के आलावा कुछ भी नहीं. इसका अहसास एक वाम मुख्मंत्री केरला ने तो करलिया गाँधी अतंकवादियो को करना बाकी है.
जय भारत जय भारती.

3 comments:

  1. आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता ......
    अच्छी पोस्ट लिखी है आपने .......... आभार
    कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
    (क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
    http://oshotheone.blogspot.com

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  2. सादर वन्दे
    उत्तम जानकारी दी अपने त्यागी जी...

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