Friday, September 3, 2010

अयोध्या एक सच है !!!!!!

अयोध्या एक सच है !!!!!!

आगे पढने से पहेले इस लिंक (

http://www.youtube.com/watch?v=kV5v3APtaEU

) को देखे,

http://www.youtube.com/watch?v=cl_wiRh6SDg

http://www.youtube.com/watch?v=4Yw6XTObi3E&feature=related

फिर इस ब्लॉग को आगे पढ़े.

कांव कांव करते कौवे फिर से आने वाले है.

सच्चाई पाताल से भी निकल कर अपनी गवाही देगी जरुर और श्री राम का वो भव्य मंदिर बनेगा और उसे देख कर, पूज कर, माथा टेक कर हर हिन्दू के रोम रोम से वो ओज निकलेगा की जो मेरे हजारो शहीद कारसेवको के आत्माओ को तृप्त करदेगी .

याद करो वो अनुभव जो हरिद्वार में हर की पैडी पर, कैलाश पर शिव के दर्शन पर, वैष्णो देवी की गुफा में, बाबा धाम देवघर के जल चढाने पर, वो सारी १२ ज्युतिर्लिंग पर, कामख्या देवी की चोखट पर, वो झूम कर अम्बे के आरती करते, गणपति की पूजा पर , पशुपति की शाम की बागमती के किनारे की आरती पर , शिव भोले के कावड़ का सावन में सैलाब पर , करौली में कैला देवी की भक्ति में , अमृतसर में माथा टेकता शीश और एक ओमकार का उद्घोष से . पुरे ४८ घंटे का निर्जल और कठिन पूजा के बाद गंगा के किनारे अर्घ देते भक्ति से , तिरुपति देवस्थानम पर घंटो खड़े होकर भगवान् से साक्षात्कार करने पर , हाथो से खींचते रथ जगन्नाथ पूरी में, हिमालय के उच्चतम शिखर बदरीनाथ पर घंटे बजाता हाथ में कम्पन्न से. पुष्कर के सरोवर स्नान से, वृन्दावन की गलियों में भटकते हुए और वो झांकती बाँके की पर्दा हटने पर क्षण भर की झलक जिसे देखने के लिए लाखो जनम भी कम पड़ जाये. सरयू में गोते लगाते, अस्सी के घाट पर कूदते, काशी में शाम की भव्य गंगा आरती पर, संकट मोचन के मंदिर की वो आरती पर, जयपुर के मोतीड़ोंगरी के गणपति की वो बुधवार की शाम, जन्म अष्टमी की पुरे व्रत के बाद वो चन्द्र दर्शन पर, शबरीमाला में भगवन अयाप्पा का अनुभव, दुर्गा पूजा की वो मूर्ति उठा कर सागर को समर्पित करता भक्त भाव, सबसे ऊपर पहुँच कर दही हांड़ी फोड़ता गौरवान्वित गोविंदा से. कुअलालुम्पुर की वो विशाल हनुमान मूर्ति के सामने खड़े होने पर. वो भाव, वो ही भाव श्री राम मंदिर निर्माण पर एक ईट उठाने पर होगी, चरण चूमने में होगी, प्रशाद भी आत्मा को पुष्ट करेगा. अरे जहाँ इस प्रकार का भाव होगा उसके लिए मैं तो तीनो लोको के राज पर ठोकर मारता हूँ. उन करोडो भौतिक सुखो को लात मारता हूँ जो इस भाव के सामने क्षणिक और गौण हैं. तो बंधुओ अयोध्या तो आव्हान करती है तो फिर क्यों न मैं भी इस जनम को सार्थक करू और जो भाई कारसेवक नहीं बन पाए वो राम लल्ला को झुला झुलाने के लिए ललायित क्योँ न हों.

क्यों न तमाच उन कद्दू रूपी सर लेकर घुमने वाले पर लगे जो इस भाव को ही मिटने में लगे है और श्री राम भूमि पर शौचालय बनाने निकले थे. क्यों न उन अरंडी के बीजो के तरह पटकते नेताओ पर हो जो राम को ही नकारते हो. न चाचा होगा, न बापू होगा और न ही कोई युवराज होगा, होगा तो राम लल्ला के मंदिर में घड़ियाल बजाते लाखो और करोडो हाथ होंगे. मिलो लम्बी लाइन होगी राम मंदिर निर्माण कराकर भक्तो की राम की भव्य प्रतिमा देखने वालो की. सरकारों के सभी ताम झाम ध्वस्त होंगे जब अवध को भक्त कूच करेंगे, जन सैलाब होगा जो मंदिर के एक दर्शन को कुलाचे मारते पहुँच जायेंगे. भौतिक सुखो का चोला उतार कर स्वेच्छा से जब हिन्दू अपने राम मिलन को पहुंचेगा तो स्वर्ग से तुलसी दास और बाल्मीकि जी भी एक नया अध्याय लिखने को मजबूर होजाएंगे और कहेंगे रामयण आज पूरी हुई है.

कुछ मित्र पूछ सकते है यार इतने भावुक होने की जर्रूरत क्या है. तो मित्रो बता दू जैसे देश तो मेरा भारत है और लोग मुझे इंडियन कहेते फिर रहे है. तो आप पूछोगे के आफत क्या आगई. अरे मित्र आई कुछ नहीं और न ही मुझे इंडियन होने से कोई फर्क पड़ता है. परन्तु कल किसी के पिता कुंवर श्री पृथ्वी राज देव जी को पिटर ही कहे दे, तो उसकी औकात ही कितने पैसे की रह्जाएगी अब भले ही पिटर कितना ही अच्छा नाम ही क्यों न हो अब वह कैसे पुत्र पिटर (क्षमा करे मेरा उद्य्श्ये किसी के नाम का मजाक उड़ना नहीं है) और माता का नाम जुली. लो होगई देश भक्ति और बनगए क्रांतिकारी और देते रहो अब दुनिया भर को स्पष्ठीकरण. तो मित्रो नाम और पहचान का फर्क तो है ही है. अब भविष्य में भारत कितना भी एडवांस क्यों न होजये परन्तु श्री टोमी प्रधान मंत्री बनने से रहा और अटल जी, शास्त्री जी के तरह देशवासियो को आवाहन कैसे करेगा वो टोनी. इस प्रकार हम ही है जिनके देव देवता कंदराओ में बंद है और हम जन्मस्ष्ट्मी और राम नवमी मनाता फिर रहे है. तो मित्रो पहचान तो पाताल में छुपी है और में पिटर हवाई जहाज में लेपटोप लिए हुए इंडिया इंडिया कर रहा हूँ और उसके बापू गाँधी, चाचा नेहेरू के नाम के जाप कर रहा हैं. तो आप से विदेशी मित्र पूछ सके है की ५००० साल की धरोहर की थाती रखने वाले १०० साल पहले के एक व्यक्ति को अपना बाप बनाये क्यूँ घूम रहे है. क्या भारत माता पर गर्व करने वाले उस एक शख्स को बापू मान ले ? अब मेरे पर तो कोई जवाब नहीं, मेरे मित्र पर हो तो बताय. यदि में बापू मानू तो ५००० साल से ही सही (न मानो वैदिक युग) तब भी में उन महान ऋषियों के मुह पर तो कालक ही पोत रहा हूँ. और उन बड़े बड़े गाँधी वादी ढोंगियो को भी में कहेना चाहूँगा की बाप होगा तेरा क्यूंकि मेरे कृष्ण जिसने इस जैसे अरबो बापों के बाप होने पर भी अपने को माखन चोर, रणछोड़, ग्वाला, और पता नहीं क्या क्या तक नहीं कहलवाया परन्तु वो साक्षात् विष्णु भी अपने को बापू नहीं कहलवाए, कारण की उनके पहेले जो पूर्वज थे वो उनको गाली नहीं न दे सकते. तो भाई हम इस मिटटी से कोई ध्रिष्ट्ता तो नहीं ही करेंगे और करने वाले करो जिसके लिया बाप की कोई कीमत ही न हो और अपने बाप के बाद भी बाप बनाने वाले को हमारे यहाँ या तो चापलूस या फिर गलत माना जाता है. तो भैया सरकार इस बार २ अक्तूबर को अपने बाप का विज्ञापन न करे हा देश के लिए कोई एक बड़े वियक्ति का सम्मान कर सकते है उसमे हम भी प्रेम भाव से शामिल होंगे. परन्तु बाप तुम्हारा और खुशिया हम मनाये तो मित्रो यह तो नहीं ही चलेगा.

अच्छा आप लोग भी कहेंगे की यार पीछे ही पड़गया परन्तु दुःख होता है इसलिए बता रहे है. न तो ये सरकार जन्माष्टमी पर, न राम नवमी पर और न ही होली दीवाली पर कोई विज्ञापन छपवाती है दो लाइन की विज्ञप्ति छपती है की फलाने ने बधाई दी है. परन्तु वीर भूमि के राजीव गाँधी जी (असली वीरो के वीरो सावरकर जी को इसी परिवार के चापलूस , चोर दरवाजे राज्य सभा में घुसने वाले मणिशंकर आयर ने उनके नाम की छोटी से पट्टी भी सहन नहीं हुई और हजारो किलोमीटर दूर अनजाने टापू से भी उखाड़ दी) तो जो गाँधीवादी ढोंगी है उनके दोहरे चरित्र पर कहना चाहूँगा लाखो टन मिटटी इन मूर्ति पर लगा चूका यह देश कब तक ढकोसला देखेगा. राजीव जी, जो पता नहीं क्या वीरता दिखा गए को कभी शहीद दिवस, कभी वीर दिवस, कभी नव युग दिवस और न जाने पता नहीं क्या क्या और कौन कौन से दिवस. अरे धृतराष्ट्रों ! ५००० साल बाद भी उस माखन चोर के लिए लोग १२ बजे कृष्ण का जन्मदिन भूखे प्यासे रहे कर रात को आरती करके, मंदिर और मंदिर घूमते घूमते, नाचते गाते मानते है और फिर अन्न ग्रहण करते है. और तुम ६० साल बाद भी १५ अगस्त के दिन दोपहर के दस बजे भी ४ आदमी नहीं खड़े कर पाते ( उनकी स्वेच्छा से) झंडा फेरने के लिया. क्यूँ? तो मित्रो कही न कही तो गलती है. जो देश का आम आदमी में वो जज्बा नहीं पनप पा रहा है. जो हजारो साल पूर्व जन्मे लोगो (भगवान) की मिटटी की मूर्ति के दर्शन के लिए लोग लाइन में लग कर, पैरो में कुचल कर भी उस भगवन के दर्शन पाना चाहते है. तो फिर साठ साल से कुछ एन जी ओ टाईप का ही यह बापू और चाचा बन क्यूँ पाए है बाकियों ने २ अक्तूबर को राजघाट पर जाकर अपने शीश क्यूँ नहीं नवाते. तो गाँधी ढोंगियो आत्मावलोकन करो. देश के पैसे, लाखो टन मिटटी को बचाओ जो इसमें लगकर अपनी उत्पादकता भी खो रही है. करोडो पेड काटने से बचाओ (वो सेम पित्त्रादो जो कम्पुटर क्रांति का स्वम्भू जनक बनता है वो भी कुछ करे) जो अखबार में रद्दी के लिए फोटो छापते हो उनसे इस देश को बचाओ.

इसलिए कहेता हूँ की इस देश से प्यार करो इसकी महिमा स्वीकार करो, इस के लिए मरो, कोई भी सैनिक, शत्रु देश से लड़ते महत्मा गाँधी और चाचा नेहरु की जय नहीं बोलता सभी बजरंग बलि की जय, हर हर महादेव ही बोलते है. जब सच्चाई यह ही है तो फिर ढकोसला क्यूँ? जाओ इन नारों के मूल में जाकर इन देवी देवो को प्रतिस्तापना करो. अच्छा सच बोलूँगा तो कई अरंडी के बिज धर्मनिरपेक्षता वाले मुझे भाषण पिलायेंगे की बापू को ऐसा कहेते हो वगैरह वगैरह. अब आप बताये करे तो करे क्या. सच बोलने नहीं देते, सच देखने नहीं देते और सच करने नहीं देते (सोजन्य - सरकार एवं मीडिया) ६० साल बाद भी भ्रम में रहो उसे ठीक मत करो ज्यादा करोगे दलितों के मसीहा के संविधान का अपमान. मंदिर बनाओगे साम्प्रदायिक हो जाओगे, न्याययाले का अपमान हो जायेगा. पता नहीं किस का अपमान. अब क्या करे क्या न करे. जब तक एक शख्स चुनाव आयौग की कुर्सी पर है उसके द्वारा किये गए किसी भी कार्य को निष्पक्ष ही मानना पड़ेगा , उसे कुछ कह नहीं सकते. अच्छा नौकरी से रिटायर प्रिये पार्टी ज्वाइन और अब मंत्री है. अब मैं ही कैसे मान लू की चुनाव आयुक्त रहेते इसने किसी पार्टी का फेवर नहीं किया होगा (संशय तो हो ही सकता है). फिर यका यक सीधा मंत्री कैसे बन गए लाखो पार्टी वर्कर अभी दरिया ही बिछा रहे है और ब्लाक स्तर पर पद तक नहीं मिलपाया . अब में इन मंत्री से पूछ ही नहीं सकता पता नहीं मेरे से ही कौनसे कानून का उलंघन करना मान ले. बस झूट बोलो और झूट को जियो यह कानून तो ज्यादा नहीं चलेगा. भारत देश किसी के बाप की जागीर नहीं जब तक इस देश को इसकी पहेचन नहीं मिलजाती हम तो प्रशन पूछते रहेंगे.

क्यूंकि जब आपका कानून मेरे नाम के साथ मेरे बाप का नाम मांगता है तो मैं इस देश के बाप को क्योँ नहीं पूछ सकता और इस देश का बाप ब्रह्मा विष्णु और महेश है. तो जब तक इस देश के साथ इसके बाप का नाम नहीं लग जाता उनको पहचान नहीं मिल जाती तब तक सच और झूट की लड़ाई जारी है. ये कुछ कुछ वैसा ही है जैसे एक गाँव के किसान का बेटा बाप की खून पसीने की कमाई से शहर में बड़ा आदमी बन जाता है सूट बूट पेहेन कर टिप टॉप बन जाता है. जब बाप से वो मिलने गाँव नहीं जाता तो एक दिन गाँव से किसान मिलने आ जाता है. तब बेटा मिलने से माना करता है, पहेचनने से माना करता है, बाप मानाने से मना करता है. उसी प्रकार आज हमारे ड्राइंग रूम से भाषण पिलाने वाले सच्चाई को नहीं जानते. टेंट में विराजमान श्री राम लल्ला को नहीं पहेचानते. उसके पक्ष में लगाये नारे भी भूल गए है. न्यायालय पर सब छोड़ दिया है. कोई बात नहीं. हमार बाप तो वैसा किसान जैसा है भी नहीं है. वो तो देवो का देव साक्षात् ब्रह्म है. परन्तु पहचान तो उसको भी दिलानी पड़ेगी और दिला कर रहेंगे. ऊपर उलेखित गाँव और शहर की पिक्चर देखकर अंत में बेटा किसान बाप के पैरो में गिरने वाले द्रश्य (कलाईमेक्स में और अंत में हर युग में कलाईमेक्स येही होता है और यही होगा) पर ताली बजाने वाले बाहदुर देश वासियो तुम्हारे सामने पर्दे पर नहीं सच में यह ही घट रहा है और इसमें आप आज भी दर्शक हो न की नायक और जिंदगी भर नपुन्सको की तरह ताली ही बजाते रहेना और डर डर कर सारा जीवन निकाल देना नही तो कोई तुमेह साम्प्रदायिक न कहे दे, भगवा गुंडा न कहे दे और अब तो भैया भगवा आतंकवादी भी कहेने लगे (सौजन्य - कांग्रेस सरकार), कच्हो के ऊपर जींस चढाते रहेना, परन्तु सच मत बोलना, सच मत कहेना और सच मत मान लेना. और इसी ढकोसले को लोकतंत्र और उसमे अपने को स्वतंत्र मानलो. चाहे नस्ल ही क्यूँ न मिट जाये. न्याय के मंदिर (बड़े आदर और सम्मान के साथ) ने तो निर्णय बहुत दिए है इन्द्रा का इलेक्त्शन गलत था, शाहबानो का निर्णय भी था, परन्तु सच्चाई को कहेना और उसको मनवाना वीरो का काम है और इन्द्र जी व राजीव जी ने अपना करना था और कर भी लिया.

न्याय कहाँ है ?? मैं नहीं जनता न्याय किस चिड़िया का नाम है !!!!!!!!!!

वाकई हमारे ऋषियों ने जो कलियुग की परिभाषा लिखी थी भारत में वो ही हो रहा है जैसा की कलयुग के लिए कहा गया था और हिन्दुस्थान आज एक नरक बनगया. मैंने कई बार सोचा है की शारारिक रूप से तो हमे आतंकवादी निशाना बनाते ही है परन्तु मानसिक रूप से हमे बीमार इस देश की न्याय व्यवस्था और सरकार ही कर रही है. आज तक हिन्दुस्थान में किसी भी बात की सच्चाई सामने नहीं आई है. हमने सुना है देर है अंधेर नहीं, दूध का दूध पानी का पानी होगा, भगवन की लाठी बेआवाज है वेगैरह वैगेरह. एक नहीं दो नहीं दस नहीं ५० नहीं ६०-६० साल होगये पर सच्चाई सामने नहीं आई और न ही आने की उमीद है. नेताजी कैसे मरे. श्यामा प्रशाद मुखर्जी कैसे मरे, शास्त्री जी कैसे मरे, दीनदयाल उपाध्याय जी कैसे मरे किसी को नहीं पता परन्तु सब को महात्मा गाँधी कैसे मरे, इन्द्रा जी कैसे मरी, राजीव जी कैसे मरे इस बात का सब को पता है न केवल पता है बल्कि टीवी, पिक्चर में भी बता दिया गया है. हर उस शख्स को फंसी पर लटका दिया जो इनका कसूरवार था. एक तरफ़ा न्याय क्यूँ? जब न्याय सबके लिए है तो फिर न्याय सलेक्टिव क्यूँ, जब गुजरात के दंगा पीडितो के लिए सरकार में इतनी बैचनी है तो गोधरा के लिए क्यों नहीं. भागलपुर के दंगो के पीडितो को भी न्याय दिया गया तो कश्मीर के पंडितो को क्यूँ नहीं. उनको पंडितो को तो यह भी नहीं पता की जाना किस न्यायालय में है. बेचारे अभी तक टेंटो के ऊपर बरसात में छेद ही देख रहे है ऊपर से तुर्रा यह की सबसे शांति प्रिये कौम के शांति प्रिये प्राणी है जैसे की बस अब इन को मियुजियम में ही रखना बाकि है और उसी के लिए पाल पोस रहे है.

मणिपुर के बिचारे लोग आज ७ महीने होने जा रहे है उनके यहाँ बंद का सिलसिला रोके नहीं रुक रहा है. पता नहीं युवराज और त्याग की मूर्ति भी मणिपुर क्यूँ नहीं वहा चली जाती जब की इस त्याग की मूर्ति ने राजीव के प्रधान मंत्री बनने पर बड़े आदिवासी टोपियो में फोटो खिंचवाए है. क्या राष्ट्रवादी होने और देश को प्यार करने की सजा यही होती है. बस कशिमिरियो का ही दिल जीतते रहे अनंतकाल तक. पाप तुमने किया और दिल हम जीते. सत्ता तुमने भोगी और दिल हम जीते. यह दिल जितने का एक तरफ़ा हुक्म क्यूँ ? क्योँ झुटा दिलासा की भारत का कोई भी मुस्लमान अलकायदा से नहीं जुड़ा और कोई भी किसी जिहाद में शामिल नहीं है. तो फिर सोमालिया में अभी हुए बम विष्फोट में भारतीय मुसलमान क्यूँ पकडे गए. हिन्दू तो भगवा आतंकवादी बिना कुछ करे और वो कर के भी शांति के दूत. और दिल भी हमी जीते. भाई कमाल है . गाँधी के तीनो बंदरो का झूट बोलो, झूट सुनो, और झूट ही देखो. भाई कर लो हिन्दुओ पर अत्याचार यह तो एक साइंटिस्ट (कांग्रेस) के हाथो एक प्रजाति (हिन्दू) लग ही गई सारे एक्स्परिमेंट इसी पर होंगे और फल धर्मनिरपेक्षता के पहरुहावा खायेंगे.

मैं तो अंत में कहेना यह ही चाहूँगा की यदि चाहते हो अपनी आने वाली नस्लों को बचाना और देश की मिटटी उनके हाथ में देना तो कृष्ण की तरह इंद्र से मत डरो अपने गाँव की रक्षा करने का धर्म निभाओ, क्यूंकि बहादुर बनने के लिए ब्लेक केट कमांडो नहीं चाहिए अपने देश के चक्रवर्ती रजा धिराज राजा भारत के तरह सिंह के दांत गिनलो कोई दुष्यंत अपना वंशज पहेचन ही लेगा.

जय भारत जय भारती

9 comments:

  1. आपने 100% ठीक बात कही जी ।

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  2. सत्य है.........
    बाकि लाल स्याही से लिखे शब्द ...... आत्मा को झंझोर देते हैं.

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  3. सही बात हे मेरे भाई | राम मंदिर ज़रूर बनेगा |

    सब कुतो को काट कर फेक दो जो अयोध्या में मंदिर बना ने से इनकार करते हे | सब अधर्मियों का वध करदो |

    असुरो का संहार करना ही पड़ेगा वरना कई गाँधी और नेहरु जेसे ढोंगी पैदा हो जायेंगे |

    जो जो चंडाल का काम कर रहा हे सब की अ काल मृत्यु होगी |

    हे वीर हिन्दू तू ना डर |

    >>

    अ काल मृत्यु वो मरे जो काम करे चंडाल का , काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का |

    जय महाकाल |

    हर हर महादेव |

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  4. http://www.youtube.com/watch?v=fP5ag--Umz4

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  5. कितना रक्त बहाना होगा,अपनी ही इस धरती पर
    कितने मंदिर फिर टूटेंगे,अपने इस भारत भू पर
    उदासीन बनकर क़ब तक हम,खुद का शोषण देखेंगे
    क़ब तक गजनी-बाबर मिलकर भारत माँ को लूटेंगे
    क़ब तक जयचंदों के सह पर,गौरी भारत आएगा
    रौंद हमारी मातृभूमि को,नंगा नाच दिखायेगा
    बहु बेटियां क़ब तक अपनी,अग्नि कुंड में जाएँगी
    अपना मान बचने हेतु,क़ब तक अश्रु बहायेंगी
    क़ब तक काशी और अयोध्या,हम सब को धिक्कारेंगे
    क़ब तक मथुरा की छाती पर,गजनी खंजर मारेंगे
    कितनी नालान्दाओं में निशिचर,वेद पुराण जलाएंगे
    कितना देखेंगे हम तांडव,क़ब तक शीश कटायेंगे

    बनायेंगे मंदिर,कसम तुम्हारी राम.....

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  6. अत्यंत ही प्रभावी तरीके से विचार रखे हैं |

    कृपया मेरे ही विचार पढ़ें जो कुछ इसी प्रकार के परन्तु अलग शैली में हैं
    http://nationalizm.blogspot.com/2010/10/blog-post.html


    मैं राहुल पंडित जी से अनुमति चाहूँगा इस गीत को मेरे निजी चिट्ठे 'संकलन ' पर लगाने की |
    http://nationalizm.blogspot.com/2010/10/blog-post.html

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  7. aapki baato me jo aag hai usse yahi lagta hai ki aaj bhi shivaji,maharana pratap aur banda vairagi jaise swabhimani veer saputo se ye desh sunya nahi hua hai.

    vande matram

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  8. Wow.. Boss bahut ache... aapne mere to gandhi ke bare vichar hi badal diye...... Great Boss.......

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