Wednesday, February 6, 2013

2013 में श्री राम जन्मभूमि के मंदिर का मतलब !!!!!!!!!!!!!!!!



ज्ञान पिलाने वाले और हिंदुस्तान में क्षुद्र राजनीती करने वाले बहुत पत्रकार, राजनेता और बुद्धिजीव है। देश को और हिन्दुओ को भरमाने का माद्दा आज भी कुछ टीवी के पत्रकार और तथाकथित चिन्तक और ज्ञानी लोग रखते है। "धर्मनिरपेक्षता के मुर्दे" को आज भी लोग सर पर उठा कर घूम रहे है। यह वो ही लोग है जो मनानिये साधू, संतो और विश्व हिन्दू परिषद् के राम मंदिर पर अपने मुद्दे पर वापस आने के लिए रोक भी रहे है और हड्काने के तरीके से प्रवचन भी कर रहे है। वैसे टीवी पर साधू संतो को और विश्व हिन्दू परिषद् को देख कर एक स्वच्छ हवा का झोंका प्रतीत हुआ। 

खैर मुद्दा है श्री राम जन्मभूमि का। पता नहीं विश्व हिन्दू परिषद और साधू संत क्या फैसला धर्म संसद में लेते है पर सेकुलर पत्रकार और चिन्तक मुद्दे को उलझाने में लगे है। लोगो को बता रहे है की बीजेपी 1990 के दशक में जा रही है और देश को फिर से हिन्दू-मुस्लिम केआधार पर बाँट रही है। अरे मेरे देश के सेक्युलर प्र्पंचियो 1990 में श्री राम  जन्मभूमि का मुद्दा विवादस्पद था और आज जिस मंदिर कर निर्माण अयोध्या में करने के लिए साधू संत कुम्भ में एकत्रित है वो इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद श्री राम के हिस्से में आई जमीन पर बनाने की बात है। बाकी विश्व हिन्दू परिषद् और संतो द्वारा श्री राम जन्मभूमि का जो मंदिर मोडल है उसके आधार पर यदि मंदिर बनाया जाता है तो उस के लिए मुस्लिम भाइयो से जमीन मांगने के लिए निवेदन किया जा सकता है। 

1990 में श्री राम जन्मभूमि पर कोर्ट का फैसला नहीं था तो न्याय की दृष्टि से कुछ मुसलमानों को यह गुमान था की पूरी अयोध्या उन्ही की है पर अब कोर्ट के फैसले की रौशनी में जगह श्री राम जन्मभूमि के लिए मान ली गई है। तो अब जो मंदिर की बात करता है वो शुद्ध रूप से हिन्दुओ का आन्तरिक धार्मिक मामला है जिसमे किसी गैर हिन्दू और नास्तिक (सेकुलर) लोगो की प्रवचन करने की कोई गुंजाईश नहीं बचती। 

मीडिया को मंदिर में कीर्तन करने आना है तो स्वागत है परन्तु रोड़े अटकाना है तो कृपया हिन्दुओ पर रहम करे। अब बाबरी ढांचे का न कोई नाम है और न उसका कोई सवाल। अब शुद्ध रूप से हिन्दुओ के अरध्ये देव श्री राम का उनकी जन्मभूमि पर मंदिर कब, कैसे और कितना बड़ा बने इस पर विचार है।

किसी भी रूप में गैर हिन्दुओ के बीच इस पर बेहेस करना कुछ कुछ एसा है जैसे कोई हिन्दू से पूछे की काबा में मस्जिद कैसे बने या वेटिकन के चर्च में कितने दरवाजे हो। मुद्दा सेकुलर बहस का भी नहीं जो उनको अपनी राय प्रकट करने दी जाए। 

बात बीजेपी की है। बीजेपी को तो राम मंदिर बनाना ही पड़ेगा या सहयोग करना पड़ेगा। क्यूंकि इस दल ने हिन्दुओ को श्री राम मंदिर बनाने के लिए वादा किया था। और उस ज्वार की पैदाइश भी बीजेपी ही है। यदि हिन्दू वीर श्रद्ये श्री अडवानी जी और श्री अटल जी के जीवन काल में यह बनता है तो लोक और परलोक दोनों पर ही उनकी सतुति होगी। 

महत्व की बात सभी हिन्दू संघटन को समझने की है की हिन्दू गौरव से ओतप्रोत सरकार चाहिए जो अनंतकाल तक इस संसार में रहे और आपको विक्रमादित्य और रामराज की याद दिलाये उसके लिए आपको भी अपने दिल बड़े करने पड़ेंगे। जब श्री राम जन्मभूमि जैसे मुद्दे पर न्यायालय का सहयोग लिया है तो बाकी हिन्दू विरोधी कृत्ये के लिए भी न्यायालय या संसद की शरण में जाये न की लम्बे लम्बे भगवे कुर्ते और तिलक धारण करे डंडे और लाठी लेकर बाकी लोगो को आतंकित करे। इस बारे में एक कथा याद आती है जो में आपके साथ बाँटना चाहूँगा। 

 पुराने समय में एक बड़े धार्मिक और विद्धवान शहर के सेठ जी एक संत को लाठी से पीट रहे थे। जबकि साधू भागवत का पाठ कर रहा था। अब इस प्रकार से पाठ करते साधू को पीटने पर शहर भर में इस बात की बड़ी आलोचना हुई की सेठ जी सठिया गए और एक साधू को बिना किसी बात पर पीट रहे है। अब लोगो में काना -फूसी थी परन्तु सेठ जी की विद्वता और ताकत के आगे कोई कुछ नहीं बोलता था। पर आलोचना इतनी की इसका संज्ञान नगर के राजा को लेना पड़ा और सेठ को दरबार में बुला भेज। राजा ने पूछा सेठ जी आप को एक साधू को पीटने के आरोप में सजा दी जा सकती है पर आप इतने ज्ञानी, धार्मिक, विद्द्वान और समझदार है फिर आप ने एस कृत्ये क्यूँ किया? और वो भी जब साधू भागवत का पाठ कर रहा था। सेठ जी ने बड़ी ही विनम्रता से बोल की मान्यवर आप जरा अपने सामने और साधू को बुलवाए और उनसे एक बार अपने सामने भागवत में जो श्लोक है उनका पाठ करवाए। राजा ने साधू को बुलवाया और अपने सामने ही भागवत कथा पर प्रवचन करने के लिए आमंत्रित किया। साधू बेचारा शुरू होगया। जैसे ही दो चार मिनट हुई राजा ने एक दम से साधू को रुकने के लिए बोल। राजा ने बोल साधू जी आप की वाणी तो इतनी कर्कश है की मुझे शांति से सुनने की जगह अशांति हो रही है। एसा होते देख सेठ जी तुरंत बोले महाराज जब में उस दिन सड़क से जा रहा था तो इस साधू को इतनी कर्कशता और भद्दे तरीके से भागवत जैसी पवित्र कथा का अपमान करते माना तो क्रोध में मेने इसे मारा जो की गलत था पर उतना गलत नहीं जो इस प्रकार कथा को दुसरे धर्म के सुनते लोग भागवत के बारे में अनुमान लगाते की अवश्य ही कोई गलत चीज का साधू प्रवचन कर रहा है। हे ! राजन यदि हम किसी अच्छी चीज को वयवहार में लाते हुए गलत प्रदर्शन करे तो दुसरे जो उसको नहीं समझते वो इन बातो और तरीको से चीजो को सुनकर हमारे धर्म के प्रति रोष रखेंगे, हमें गलत समझेंगे और मानेगे की हमारी धार्मिक किताबो में कुछ गलत लिखा है। राजा ने यह सुनकर साधू को निविदेन किया की अपनी वाणी में थोडा मिठास लाये और परांगत तरीके से सार्वजानिक तरीके से धार्मिक चीजो की व्याख्या करे। 

अब इस कहानी से जो अभिप्राय है वो यह है की इस भारत में 65 साले के कुशासन में कोई राज एसा हुआ नहीं जो हिंदुस्तान को सही दिशा दे  और हिन्दू धर्म का निरंतर इस देश में धर्मनिरपेक्षता की आड़ में शोषण हुआ है। और इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप हमारे हिन्दू धर्म के कई स्वम्भू रक्षक पैदा होगये और अपने अपने तरीके से धर्म के ठेकेदार और लगे हांकने देश की बाकी जनता को अपने अपने अनुसार। परन्तु उस से लाभ देश के और हिन्दू धर्म के द्रोहियो ने जो लाभ उठाया उसीका परिणाम है की देश में कभी भी हिन्दू गौरव और राष्ट्रवादी विचारो से ओतप्रोत सरकार नहीं आ पाई।

इस ग्लोबल दुनिया में भारत में हिन्दुओ के लिए हिन्दू हितो की सरकार का आना अव्श्यम्भी और आवश्यक है पर उसके लिए हमें विशेष कर हिन्दू संघटनो को अपनी बात को रखने के लिए सयम और विवेक चाहिए। बात जब 120 करोड़ के देश पर शासन की हो तो हिंदूवादी शक्तियों का परमा आदरनिये चाणक्य जी की कुछ सूक्तियो को भी व्यवहार भी में ले लेना चाहिए। आपकी लाख अच्छे अभिप्राय हो परन्तु देश संक्रमण काल से गुजर रहा है आपके बहुत जतन और महनत से एकत्रित कई लाख टन दूध के लिए आपके दुश्मनों को कुछ एक निम्बू की बुँदे ही चाहिए उस दूध को ख़राब करने के लिए। इस लिए धर्म का शंखनाद होना चाहिए परन्तु आवाज की कर्कशता नहीं होनी चाहिए अन्याथा श्री राम जन्मभूमि के लिए हिन्दू 500 साल से लड़ रहा है परन्तु हर बार सफलता हाथ से फिसलती गई है। जब कुछ स्वधर्मी ही विधर्मियो से मिल जाये तो किसी को क्या दोष दे सो अबकी बार मंदिर भी बने और देश में हिन्दू गौरव से निहित सरकार भी बने इस उदेश्ये के साथ जयघोष होना चाहिए। विजय आधी अधूरी न हो देश और हिन्दू एक बार फिर अपनी शक्ति संजो कर एक जुट है और 2014 में भारत में भगवा फिर स्वाभिमान से लहराएगा इस आशा के साथ श्री राम की ही तरह सागर से बार बार  लंका जाने का रास्ता देने के लिए गुहार लगा रहा है।    

2 comments:

  1. मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है तब तक उसके फैसले का इन्तजार करना होगा क्योंकि इलाहबाद न्यायालय नें यह तो माना था कि यह रामजन्म भूमि है लेकिन उसने फैसला करते वक्त तीन हिस्से कर दिए !

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