Monday, November 7, 2016

मोदी सरकार और हाहाकार !!


क्या मोदी सरकार काम नहीं कर रही जवाब मिलेगा हाँ काम तो कर रही है परंतु मठाधीशो को संतुष्टि नहीं हो रही वो होगी भी नहीं जब चाणक्य और चंद्रगुप्त ने देश हित में काम शुरू किये थे तो भी कुछ मठ या कहें की गैंग संतुष्ट नहीं थे तो विरोध उनका भी होता था।  मोदी सरकार कोई वैज्ञानिक तो है नहीं जो एक प्रयोगशाला में बैठ कर कोई उपकरण ईजाद कर रही है सरकार १३० करोड़ लोगो को प्रगति विकास और वैभव की और लेजाने के प्रयास कर रही है।  इस प्रयास को संक्रमण काल कहते है जब देश और उसके नागरिक एक स्थिति से दूसरी अवस्था में लाये जाते है।  इतने संसाधन भी नहीं है जो एक दम से परिवर्तन लाकर दिखा दे १३० करोड़ लोगो के सहयोग के बिना लोकतान्त्रिक तरीको से स्थिति में बदलाव संभव भी नहीं है।  परंतु एक वर्ग चाहता है अच्छे दिन केवल प्रधानमंत्री कुछ चमत्कार कर दे , सड़को पर खुद ही झाड़ू लगा दे , पाकिस्तान को रस्ते पर लियाये , चीन भारत को अपने से उभरने दे,  देश में रातो रात शांति आ जाये , भारत अमेरिका से बड़ी सुपर पवार बन जाये और १५ लाख रूपये हम सभी के अकॉउंट में आ जाये , चाँद तारे तोड़ लाये , एक भी टेक्स न लगाए , देश विकसित हो जाये , आरक्षण मिलता रहे और देश में सामाजिक न्याय आ जाये , कोंग्रेस जैसी भ्रष्ट व्यवस्था बनी रहे , प्रोपेर्टी के रेट दिन रात बढ़ते रहे , जेबे भरती रहे , पेट फूलते रहे , गरीबी मिट जाये , आतंकवादी बुद्धा बन जाये, अदालते मनमर्जी करती रहे , १४४ धारा लगी रहे परंतु पुलिस प्रदर्शनकारियो जूस पिलाती रहे, नजीब बटन दबाते है मिल जाये , एनडीटीवी पाकिस्तान में पापुलर चैनल बना रहे और देशभक्ति को भी परिभाषित करता रहे, कश्मीर दोबारा से जन्नत बनजाये परंतु कश्मीरी पंडित वहां पर न जा पाए, प्रदूषण को मोदी सरकार चुटकियो में दूर कर दे और हम ठट्ठे लगा कर हँसते रहे। 
क्या यह सब हमारे सहयोग के बिना हो पायेगा ?????
देश क्या अकेले नरेन्द्र मोदी का है, क्या वो ही आकर आपकी और मेरी सड़के साफ करेगा ????
मुझे कोई एक व्यक्ति बताये की आपके घर में यदि सभी लोग सहयोग नहीं करेंगे तो क्या आप अपना घर भी चला पाएंगे ??? देश चला पाना तो बहुत दूर की कोड़ी है।  मैं मोदी को सलाम करता हूँ परंतु १ करोड़ सरहद पर शहीद होने वाले को नहीं आत्महत्या करने वाले को बाँटूगा, देश में पर्यावरण की बात करूँगा परंतु अपनी खाट सभा करने के लिए लाखो पेड़ो को कटवा दूंगा।  एक टीवी के लिए दो विशविद्यालय और चार मुसलमानो की सुरक्षा ही देश की तस्वीर है।  स्वयम स्क्रीन काली करे तो लोकतंत्र और सरकार बंद करने के आदेश दे दे तो तानाशाही। आप १३० करोड़ लोगो द्वारा चुनी गई सरकार का मजाक उड़ाए तो लोकतंत्र परंतु सरकार आप से देश हित की अपेक्षा करे तो हिटलरशाही। 

असल में मोदी सरकार सर्जिकल स्ट्राइक सीमा पर ही नहीं देश हित के साथ समझौता करने वालो के खिलाफ सीमा के अंदर भी कर रही है।  क्या देश में गद्दार नहीं छुपे है।  कहाँ से आतंकवादी सरपरस्ती पाते है इसका पता सरकार न लगाए ???

केजरीवाल जैसी घिनौनी राजनीती का विरोध करना क्या गैरलोकतांत्रिक है ? समाजवादी पार्टी की गुंडई पर रोक लगाना क्या भाजपा का लोकतान्त्रिक अधिकार नहीं है ??
आज मोदी सरकार एक जीर्ण शरीर में जान डालने का भरसक प्रयास कर रही है।  क्या हमें दिखाई नहीं देता की पिछले २ सालो में क्या कानून पास हुए है , हमें नहीं दिखाई देता की कौनसे निर्णय देश हित में लिए गए है।  परंतु हर समय राजनीती वो भी तुच्छ स्वार्थो के लिए एक गैंग द्वारा किया जाना कहाँ तक उचित है।  क्यों मीडिया दिल्ली में ३२०० बच्चो के गुम हो जाने का गुस्सा नहीं इजहार करती क्यों सेलेक्टिवली एक नजीब की मां और उसके परिवार पर ही जवाब माँगा जा रहा है ? क्यों नहीं ३२०० बच्चो की मां का गुस्सा दीखता , क्यों एक अख़लाक़ की ही फ़िक्र हो ?? क्या मीडिया देश और सरकार की छवि देश विदेश में ख़राब नहीं करता ?? क्या इनकी इन हरकतों से विदेशी निवेश प्रभावित होता ? क्यों यह एक गैंग और मीडिया का एक वर्ग क्रांति के छद्म आइकॉन ढूंढता फिरता है ? क्यों यह गैंग निर्लाजता से कुछ एक लोगो को कुछ एक समय तक टारगेट करता है की जब तक देश और सरकार की छवि धूमिल न हो जाये जब टेक अंतराष्ट्रीय मीडिया में इसका संज्ञान न लेलिया जाये तब तक मुद्दे को गरमा कर रखता है ??? किसके हितो की पूर्ति हो रही हैं निश्चित रूप से देश का तो कोई लाभ नहीं हो रहा है ??? 

क्यों एनडीटीवी के रविश जी एक ही प्रकार के लोगो को बुलाते है उन्ही को बोलने का मौका देते है और उन्ही के प्रति सहानुभूति रखते है ?? क्या यह ही पत्रकारिता का न्याय है ??? रविश जी की सरकार की आलोचना कम उनकी फ्रस्ट्रेशन और आर्थिक मजबूरियो की छाया ज्यादा दिखती है ??? 

इस एकपक्षीय मीडिया को देश की जनता आंख बंद करके ज्यादा समय तक नहीं देख सकती।  एक प्रोफ़ेसर सभरवाल मध्यप्रदेश पर जब तक छाए रहे जब तक की सरकार का बेंड न बज जाये।  एक अखलाख एक नजीब एक कन्हैया एक सभरवाल एक अफजल एक याकूब जब तक टीवी पर छाये रहेंगे जब तक की सरकार थक न जाये।  राष्ट्रवादी सरकार का विश्वास और लोगो में उसके प्रति सहयोग जब तक डिग  न जाये जब तक यह नहीं रुकते।  पिछले २० वर्षो से एक ही पैटर्न एक ही उदेश्य एक ही चाहत आखिर कब तक ? क्यों नहीं लोगो के सरोकार और देश हित के मुद्दे इनके मुद्दे बनते ??

क्या हम सब नहीं जानते की इस गैंग का उदेश्य क्या है ? देश की प्रगति इन लोगो की आँखों में क्यों खटकती है ?

मोदी सरकार पर हाहाकार तब तक होता रहेगा तब तक यह सरकार देश की प्रगति , शांति और न्याय के मुद्दों पर कार्य करती रहेगी।  आरक्षण विरोधी मीडिया कब हार्दिक पटेल को महिमामंडित कर दे उसे खुद नहीं पता। क्योंकि वो मोदी सरकार के विरुद्ध है इसलिए उसका महिमामंडन जरुरी है पत्रकारिता की निष्पक्षता गई भाड़ में। "आत्महत्या के पाप है" परंतु अपने स्वार्थ के लिए उसे भी महिमामंडित करो।  क्या यह ही राजनीती और पत्रकारिता है ? मुर्गे और बकरे खाने वाले पटाखों से उनके डर को कब  हाइप कर दे कुछ पता नहीं।  नस नस में हिन्दू विरोध और मोदी विरोध ने इनको इतना निर्लज कमजोर बेशर्म और असहाय बना दिया की इन चैनलो को चार लौंडे और छह दोयम दर्जे के प्रवक्ता देश भर का गौरव और गरिमा को टके सेर में बीच बाजार नीलाम कर दे।  

सरकार ने कभी नहीं कहा की कोई दूसरे देश का कलाकार भारत की पिक्चरों में काम करे या न करे परंतु बुद्धि का तकाजा यह कहता है की जिस पाकिस्तान के साथ देश के सैनिक लड़ते लड़ते शहीद हो रहे है उस पाकिस्तान के प्रति  ऐसे समय में प्रेम प्रदर्शित करने से बचा जाये।  क्या गुनहा है इस बात में ??? पाकिस्तान की जमीन सिंधु भूमि है परमाणु बम्ब न गिराया जाये , वहां के लोग हमारे जैसे है उनका बहिष्कार न किया जाये तो सैनिक पाकिस्तान की किट पतंगों से लड़े ? सैनिक आखिर लड़ किस से रहे है ?? सैनिक पाकिस्तान से लड़ रहे है और भारत के नागरिक पाकिस्तानी मानसिकता से।  तो मानसिकता से भारत के नागरिक ही लड़ेंगे न ? या उस से भी सैनिक ही लड़े हम बस पोपकोर्न खाते हुए पिक्चर में वाह वहा करते रहे।  ये निर्लाजता नहीं देशद्रोह है।      

मोदी सरकार पर हाहाकार क्यों ? क्योंकि मोदी सरकार देश में आर्थिक गुंडों, मीडिया में छुपे हुए गद्दारो जो लोकतंत्र की आड़ में देशविरोधी शक्तिओ के साथ है , मुसलमानो के एक पक्ष जो देश में रहकर देश की बहुसंख्यको का विरोध करता है , भारतमाता को डायन बताने वालो, शहरी नक्सलिओ , देशविरोधी एनजीओ को सीधे रस्ते पर लाने का भरसक प्रयास कर रहे है और जब तक करते रहेंगे तब तक देश में मोदी सरकार का हाहाकार जारी रहेगा। और यह हाहाकार देश के हित में है। देश करवट ले रहा है और उस करवट के दौरान सांप बिच्छू जो सदियो से भारत के शरीर को खोखला कर रहे थे वो तड़फ रहे है नए स्थान तलाश कर रहे है।  लोग भूले नहीं कंधार कांड की आड़ में किसको फायदा हुआ , लोग नहीं भूले तहलका की पत्रकारिता से किसको लाभ पहुंचा , लोग भूले नहीं गठबंधन की धर्मनिरपेक्ष राजनीती से किसके हित सधे , लोग भूले नहीं किसान की झूटी बाते करने वालो से नुक्सान किसका हुआ।  लोगो की आँखों पर पट्टी नहीं पड़ी अन्यथा देश मोदी सरकार को इतना बड़ा जनादेश न देता।  अभी भी लोग नहीं समझे तो इसमें उन्ही लोगो का नुकसान है जो अभी भी अपनी दूकान पुराने ढर्रे पर चलाना चाहते है।  देश आगे बढ़ चूका पाकिस्तान को धूल धूसरित करना और चीन की आँखों में आंखे डालने वाला नेत्रेत्व देश के पास है।  अन्यथा इस दीवाली पर चीनी उत्पाद का दिवाला न निकल गया होता।  एक दिन के टीवी प्रतिबंध से हाथो के उड़े तोतो वाले पत्रकार बंदरो की तरह गुलाटिया न करते होते।  उनको भी जानलेना चाहिए की आपके करियर का समय भी अवसान में है।  आप चूक चुके है अब आपका भरोसा भी टीआरपी वाले टीवी साहूकारों का उठ चूका है।  आपकी पत्रकारिता का युग समाप्त हो चूका है। एक ही कढ़ी को उबाल उबाल का कब तक परोसते रहोगे।  लोग उकता चुके है। बस बहुत हो चूका।  अब तो हाहाकार जारी रहेगा यह निशब्द और मूक क्रांति है,  समझने वाले समझ चुके और जो नहीं समझे वो अभी भी बासी कढ़ी में छौक लगा रहे और अपने ठेले के आगे लोगो को आवाज लगा रहे है। अब मिमक्री करो या कॉमेडी परिवर्तन प्रकर्ति का नियम है।  सूरज आपके सामने निकल रहा है और आप पीठ आगे करे खड़े हो।  कुछ नया लाओ लोग खोखली विचारधारा, दोयम दर्जे की राजनीती, निर्लज्ज पत्रकारिता और मासूम चेहरो के पीछे खूंखार राजनीती वाले पत्रकारिता को पहचान चुके।  अब बस भी करो नहीं तो हाहाकार में सब सुवाहः हो जायेगा। आज मोदी सरकार है न की कद्धू में आंख नाक फिट करे हुए नेताओ की जमात।  तैयार हो जाओ १३० करोड़ लोगो के साथ हो या गैंग बना कर अभी भी ब्लेकमैल करते रहोगे।   अन्यथा हाहाकार जारी रहेगा क्योंकि इस मोदी को सरकार नहीं देश चलना है , और देश चलाने के लिए निर्णय लेने पड़ेंगे और उनको लागु करना पड़ेगा। ये १३० करोड़ लोगो का लोथड़ा नहीं बल्कि सजग सरकार के नेतृत्व में  स्वाभिमानी लोगो का देश की अभिलाषा परमवैभव पर लेजाने वाला सजग जनसमहू है जो मोदी सरकार के हाहाकार में साथ है। 

No comments:

Post a Comment